The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
44 followers
21 following
7.8K posts
भगवा भारती पर भक्ति भजनों, धार्मिक कहानियों, और वास्तु टिप्स के साथ हिंदू संस्कृति और परंपराओं की अनमोल जानकारी पाएँ। आध्यात्मिक यात्रा शुरू करें।
Posts
Media
Videos
Starter Packs
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 12
दिया थाली बिच जलता है: भजन (Diya Thali Vich Jalta Hai)
दिया थाली बिच जलता है, ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥माँ के माथे पे टीका है, माँ की बिंदिया ऐसे चमके, जैसे चाँद चमकता है ॥ दिया थाली बिच जलता है । ऊपर माँ का भवन बना, नीचे गंगा जल बहता है ॥
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 12
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा – माँ काली भजन (Mangal Ki Sewa Sun Meri Deva)
मंगल की सेवा सुन मेरी देवा, हाथ जोड तेरे द्वार खडे । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेट धरे ॥ सुन जगदम्बे न कर विलम्बे, संतन के भडांर भरे । संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, जय काली कल्याण करे ॥बुद्धि विधाता तू जग माता, मेरा कारज सिद्व करे । चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन पडे ॥
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 12
भगवान बुद्ध ने क्यों कहा ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है’ नर्तकी और डाकू ने दिया यह जवाब
संकलन : मुकेश शर्मा एक समय की बात है। भगवान बुद्ध एक शहर में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने प्रवचन के बाद आखिर में कहा, ‘जागो! समय हाथ से निकला जा रहा है।’ इस तरह उस दिन की प्रवचन सभा समाप्त हो गई। सभा के बाद तथागत ने अपने शिष्य आनंद से कहा, ‘थोड़ी दूर घूम कर आते हैं।’ आनंद, भगवान बुद्ध के साथ चल दिए। अभी वे विहार के मुख्य द्वार तक ही पहुंचे थे, लेकिन वहीं पर रुक गए।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
नौ दिन का त्यौहार है आया: भजन (Nau Din Ka Tyohaar Hai Aaya)
नौ दिन का त्यौहार है आया, ध्यान करो माँ नवदुर्गा का, जिसने जगत बनाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं दिन का त्यौहार ॥प्रथम शैलपुत्री की पूजा, ब्रम्हचारणी का दिन दूजा, माँ चंद्रघंटा की सेवा, करके सब सुख पाया, नौं दिन का त्यौहार है आया, नौं दिन का त्यौहार ॥ चौथे दिन कुष्मांडा भक्ति, स्कंदमाता पंचम शक्ति, और छठा दिन कात्यायनी का,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
जानिए कैसे और क्यों बालिका के सामने हार गए थे महाकवि कालिदास?
महाकवि कालिदास के कंठ में साक्षात् सरस्वती का वास था। शास्त्रार्थ में उन्हें कोई पराजित नहीं कर सकता था। अपार यश, प्रतिष्ठा और सम्मान पाकर एक बार कालिदास को अपनी विद्वत्ता का घमंड हो गया। उन्हें लगा कि उन्होंने विश्व का सारा ज्ञान प्राप्त कर लिया है और अब सीखने को कुछ बाकी नहीं बचा। एक बार पड़ोसी राज्य से शास्त्रार्थ का निमंत्रण पाकर कालिदास रवाना हुए। गर्मी का मौसम था। लगातार यात्रा से उन्हें प्यास लग गई। थोड़ी दूरी तय करने पर उन्हें एक टूटी झोपड़ी दिखाई दी और झोपड़ी के सामने एक कुआं भी था। उसी समय झोपड़ी से एक छोटी बालिका निकली और कुएं से पानी भरकर जाने लगी।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
पार करो मेरा बेडा भवानी – नवरात्रि भजन (Paar Karo Mera Beda Bhavani)
पार करो मेरा बेडा भवानी, पार करो मेरा बेडा।गहरी नदिया नाव पुरानी, दया करो माँ आद भवानी। सब को आसरा तेरा भावी, पार करो मेरा बेडा॥ मैं निर्गुणीया गुण नहीं कोई, मैया जगादो किस्मत सोई। देखिओ ना गुण मेरा भवानी, पार करो मेरा बेडा॥ जगजननी तेरी ज्योति जगाई, एक दीदार की आस लगाई। ह्रदय करो बसेरा भवानी, पार करो मेरा बेडा॥ भक्तो को माँ ऐसा वर दो, प्यार की एक नज़र माँ करदो। छुटे पाप लुटेरा भवानी, पार करो मेरा बेडा॥
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
धर्म मनुष्य को बड़ा बनाने के लिए होता है, सांप्रदायिक संकीर्णता की उसमें कोई जगह नहीं
एक बार हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी तथा उनके कुछ और मुस्लिम मित्र स्वामी श्रद्धानंद से मिलने गुरुकुल कांगड़ी, हरिद्वार पहुंचे। स्वामीजी ने उनका यथोचित सत्कार किया। फिर उन्होंने अपने एक प्रमुख शिष्य से कहा कि वह अतिथियों के भोजनादि की व्यवस्था देखे। शिष्य ने व्यक्तिगत रूप से सभी अतिथियों को प्रेम से भोजन कराया। भोजनादि से निवृत्त होने के बाद अतिथियों ने पुनः स्वामीजी से मिलने की इच्छा जताई ताकि उनसे बातचीत हो सके। उस समय स्वामीजी यज्ञशाला में थे। उनके तमाम शिष्य वहां उपस्थित थे। वहां हवन आदि कार्य चल रहे थे। हकीम साहब और उनके साथियों को बेहिचक वहां ले जाया गया। स्वामी जी ने उस समय इन लोगों की ओर ध्यान नहीं दिया। वे पूरे मनोयोग से अपने कार्य में लगे रहे। इन अतिथियों ने भी इस बात का पूरा ख्याल रखा कि वहां चल रही प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा न आए। हवन समाप्त होने के बाद स्वामीजी ने इन अतिथियों को आदर सहित उचित आसन पर बिठाया और फिर उन लोगों की बातचीत शुरू हुई।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
जय माता दी बोल: भजन (Jay Mata Di Bol)
जय माता दी बोल, चली आएगी भवानी, आएगी भवानी चली, आएगी भवानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, बड़ी ही दयालु है ये, बड़ी ही है दानी, जय माता दी बोंल, चली आएगी भवानी ॥ लाल लाल चुनरी है, माँ की निशानी, लाल लाल चुनरी है, माँ की निशानी, जय माता दी बोंल,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
जब भक्त रैदास को मिला पारस पत्थर, फिर भी रहा गरीब
संकलन: राधा नाचीजभक्त रैदास जाति से चर्मकार थे, किंतु साधु-संतों की बड़ी सेवा करते थे। एक बार एक साधु उनके पास आया। रैदास ने उसे भोजन कराया और अपने बनाए हुए जूते उसे पहनाए। साधु बोला, ‘रैदासजी, मेरे पास एक अनमोल वस्तु है। आप साधु-संतों की सेवा करते हैं, इस कारण मैं उसे आपको दूंगा। इसे पारस कहते हैं और लोहे के स्पर्श मात्र से वह सोना हो जाता है।’ और ऐसा कहते-कहते उसने उनकी रांपी (चमड़े को तराशने का औजार) को पारस से स्पर्श करके सोना बना डाला।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
मैया सुनले मेरी अरदास: भजन (Maiya Sun Le Meri Ardas)
मैया सुनले मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए, मैं भी हार के आया तेरे पास, सहारा मुझे दे दातिए, मैया सुनलें मेरी अरदास, सहारा मुझे दे दातिए ॥कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता दुनिया का हर हारा, कहते है सारे तू है सबका सहारा, तेरे दर आता दुनिया का हर हारा, तेरे हाथों में है मैया मेरी लाज,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
विश्व की इकलौती महिला, जिसने की धार्मिक संस्था की स्थापना
संकलन: रेनू सैनीअक्टूबर की बर्फीली रात थी। अमेरिका में गृहयुद्ध समाप्त हुए कुछ ही समय हुआ था। ऐसी रात में एक बेघर, निर्धन और दुर्बल सी महिला आसरा ढूंढ़ रही थी। किटकिटाते दांत, अकड़ते शरीर को ढकते हुए उसने मदर वेब्स्टर का दरवाजा खटखटाया। मदर वेब्स्टर एक रिटायर्ड समुद्री कप्तान की पत्नी थीं और एंसबरी, मैसाच्यूएट्स में रहती थीं। उन्होंने दरवाजा खोला और पूछा, ‘आप कौन हैं?
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
ओ मैया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई: भजन (O Maiya Main Tumhara Lagta Nahi Koi)
ओ मैया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई, पर जितना किया तुमने, करता नहीं कोई, ओ मईया मैं तुम्हारा, लगता नहीं कोई ॥ जब जब भी दिल मेरा,उदास होता है, तू मेरे पास खड़ी, अहसास होता है, ढूंढा तेरे जैसा माँ, मिलता नहीं कोई ॥ कोई भी मुसीबत को, ना पास भटकने दे, बेटे की अँखियों से, ना आंसू टपकने दे,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
जानिए जॉर्ज स्टीफेंसन की पूरी कहानी, कैसे वह बिना पढ़ाई के बन गए मैकेनिकल इंजीनियर
जॉर्ज स्टीफेंसन के माता-पिता माबेल और रॉबर्ट निरक्षर थे। पिता कोयले की खदान में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेज सकें। हमउम्र बच्चों को स्कूल जाते देख जॉर्ज जब मां से स्कूल भेजने की जिद करते और रोते तो माबेल किसी तरह उन्हें समझा देतीं कि स्कूल उनके नसीब में नहीं है।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
जो देना हो तो मईया, उपहार ये देना: भजन (Jo Dena Ho To Maiya Uphar Ye Dena)
जो देना हो तो मईया, उपहार ये देना, तेरी ममता पर थोड़ा, अधिकार दे देना, जो देना हों तों मईया, उपहार ये देना ॥वैसे तो पहले ही, काफी है ये तोहफा, तू है मेरी मैया है, मैं हूँ तेरा बेटा, बेटा का जिस पर हक़ है, वो प्यार दे देना, जो देना हों तों मईया, उपहार ये देना ॥ दौलत से जीने के,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
केवल इस समय याद आती है मातृभाषा, गोपाल ने किया दावा
संकलन: मनीषा देवीगोपाल भांड बंगाल में नदिया के राजा कृष्णचंद्र के दरबार के नवरत्नों में से थे। वह अपनी सूझ-बूझ और चतुराई से राजा सहित आम जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। एक बार राजा कृष्णचंद्र की सभा में राज्य के बाहर से एक पंडित आए। वह उस समय के भारत में प्रचलित अधिकाशं भाषाएं, यहां तक कि संस्कृत, अरबी, फारसी आदि प्राचीन भाषाएं भी धाराप्रवाह बोल रहे थे। पंडितजी देर तक अलग-अलग भाषाओं में बात करते रहे, लेकिन किसी भी भाषा में कोई चूक या कमी नहीं पकड़ में आई। राजा कृष्णचंद्र ने अपने दरबारियों की ओर गहरी नजर से नजर से देखा जिसका मतलब यह था कि कोई इन पंडितजी की असलियत बता सकता है, लेकिन दरबारी यह अनुमान न लगा सके कि पंडित जी की मातृभाषा क्या है।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
तेरे दर पे ओ मेरी मईया: भजन (Tere Dar Pe O Meri Maiya)
तेरे दर पे ओ मेरी मईया, तेरे दीवाने आए हैं, भर दे झोली मईया भोली, बिगड़ी बनाने आए हैं, तेरे दर पे ओ मेरी मैया, तेरे दीवाने आए हैं ॥हो जाए करम उसपे जपे, जो तेरी माला, तू चाहे तो खुल जाए, तकदीर का ताला, माँ की ज्योति से, नूर मिलता है, चैन मिलता है, सुरूर मिलता है, जो भी आता है,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
मौत से बेखौफ खुसरों ने कहा ईमान से बढ़कर तो नहीं जान की कीमत
सुल्तान जलालुद्दीन हजरत निजामुद्दीन से मिलना चाहते थे। भेंट के लिए सुल्तान ने हजरत निजामुद्दीन से बार-बार इल्तिजा की, लेकिन एक बार भी उन्हें हाजिरी की इजाजत नहीं मिली। हारकर सुल्तान ने निजामुद्दीन के सबसे प्रिय शिष्य अमीर खुसरो को अपने पास बुलाया। खुसरो आए तो सुल्तान उनसे बोले, ‘हजरत तो कैसे भी मुझे हाजिरी की इजाजत नहीं देते। मैंने तय किया है कि बिना इजाजत ही उनकी कदमबोसी के लिए पहुंच जाऊं।’ यह कहकर सुल्तान ने अमीर खुसरो से यह भी कहा, ‘मगर यह बात आप हजरत को न बताइएगा।’
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
संसार ये छूटे चाहें प्राण ये छुटे: भजन (Sansar Ye Chhute Chahe Pran Ye Chhute )
संसार ये छूटे चाहे प्राण ये छुटे, जबतक है जिंदगानी, मुझसे माँ नहीं रूठे, माँ नहीं रूठे, संसार यें छूटे चाहे प्राण ये छुटे ॥रहे जबतक ये जिंदगानी, तुम्हारा साथ हो मैया, रहूँ जबतक मैं दुनिया में, ये सिर पर हाथ हो मैया, संसार यें छूटे चाहे प्राण ये छुटे, जबतक है जिंदगानी, मुझसे माँ नहीं रूठे, माँ नहीं रूठे,
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
इस तरह दिल्ली के गुरुद्वारा साहिब की हुई थी स्थापना, कटी थी पहाड़ी
विवेक शुक्लाइंदर सिंह कोहली 1947 में रावलपिंडी से शरणार्थी के रूप में दिल्ली आए थे। यहां छोटा-मोटा कारोबार करने लगे। काम चलने लगा। कोहलीजी पैसा कमाते और जोड़ते। 1960 में ग्रेटर कैलाश-पार्ट वन में प्लॉट बिक रहे थे। डीएलएफ ने प्लॉट काटे थे। उन्होंने भी एक प्लॉट लिया। पर उन्हें यहां पर गुरुद्वारे की कमी खलने लगी। तब उन्होंने जीके के पहाड़ी वाले एक प्लॉट को ही खरीद लिया। दरअसल लाजपत नगर, जीके, नेहरू प्लेस वगैरह पहाड़ियों को काट कर ही बने थे।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
मेरी आखिओं के सामने ही रहना – भजन (Meri Akhion Ke Samne Hi Rehina Oh Shero Wali Jagdambe)
मेरी आखिओं के सामने ही रहना, माँ शेरों वाली जगदम्बे ।हम तो चाकर मैया, तेरे दरबार के, भूखे हैं हम तो मैया, बस तेरे प्यार के॥ विनती हमारी भी, अब करो मंज़ूर माँ, चरणों से हमको कभी, करना ना दूर माँ ॥ मुझे जान के अपना बालक, सब भूल तू मेरी भुला देना, शेरों वाली जगदम्बे, आँचल में मुझे छिपा लेना ॥
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
यहां पर काम करते हुए अल्बर्ट आइंस्टाइन ने की थी प्रकाश-विद्युत की खोज, मिला नोबेल पुरस्कार
संकलन: स्वाति आहूजाबात 1902 की है। अल्बर्ट आइंस्टाइन ने स्विट्जरलैंड के शहर बर्न के पेटेंट ऑफिस में बतौर क्लर्क काम शुरू किया। ऑफिस में तकनीकी आविष्कारों का लेखा-जोखा रखा जाता था। कोई नया इंजन बनाता, कोई कल-पुर्जा बनाता या कोई नया रसायन बनाता तो वह बर्न के इस दफ्तर में अपने आविष्कार का नमूना जरूर भेजता। इसके बाद वह ऑफिस उसके आविष्कार की जांच करता और अगर नया आविष्कार जांच में पास होता तो उसे सर्टिफिकेट दे दिया जाता। वहां आविष्कारों के साथ आने वाली चिट्ठियों को पढ़कर कागजात तैयार करने की जिम्मेदारी 22-23 साल के युवक आइंस्टाइन की थी।
www.thebhagva.com
The Bhagva
@thebhagva.bsky.social
· Jan 11
आर्थिक स्थिति के कारण आ गई थी पढ़ाई में रुकावट, मदद मिली तो कर दिया कारनामा
संकलन: दीनदयाल मुरारकास्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक मेहनती छात्र था हरबर्ट। एक वक्त आया जब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। पढ़ाई का खर्च जुटाना उसके लिए मुश्किल हो गया। ऐसे में अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसने महान पियानो वादक इग्नेसी पैडरेस्की को बुलाने की सोची। इग्नेसी के मैनेजर ने 2000 डॉलर की गारंटी मांगी। हरबर्ट और उसके दोस्तों ने अमानत के रूप में 1600 डॉलर जमा करा दिए और 400 डॉलर चुकाने का करारनामा कर लिया। लेकिन बाकी के 400 डॉलर वे इकट्ठा नहीं कर पाए।
www.thebhagva.com